लोग दौडाए गए उस ओर.......इस बीच मेरे घर में यह उहोपोह चल रहा था कि कम से कम हाथ पैर में चोट लग जाय तो भी ठीक है....इंसान का जिवित रहना और अपने बच्चों के सामने रहना ही काफी होता है।
3.
और जिस संदर्भ में यह लेटर लिखा गया है वह भी काफी मजेदार है कि प्रार्थी अपना मताधिकार उपयोग करने के लिये जिवित रहना चाहता है, इस लिये वह अपनी CRPC के अंतर्गत किये गये किसी अपराध वगैरह में जमानत भी पा चुका है...........
4.
यह डॉ. कयूम कौन है? “ ” विनय जोशी और उसका आपसमें क्या संबंध है?“ ” वे किस ऑरगनायझेशनके तालूकात रखते थे?“ ” दोनोभी एकसाथ कैसे मारे गये? कमसे कम एक तो जिवित रहना चाहिए था“ ” पुलिस कुछ छिपानेका प्रयास तो नही कर रही है?“ ” दोनोंको मारकर यह केस खत्म हूवा ऐसा कैसे मान ले?“ ” यह आतंकवाद अब किस हद तक जायेगा?“ ” हिंदू आतंकवाद! यह और एक नया आतंकवाद? “ ” वन अॅट अ टाईम प्लीज ” जॉनका आत्मविश्वाससे भरा स्वर गुंजा.